सोमवार, 14 मार्च 2022

31 जुलाई 2021 - प्रेमचंद जयंती वेबिनार

जीवनसंघर्ष का मूलमंत्र प्रेमचंद साहित्य में मिलता है - डॉ. मिर्ज़ा हाशम बेग

दि. 31 जुलाई 2021

        प्रेमचंद जी के साहित्य में सच्चे भारतीय व्यक्तित्व की झलक दिखाई देती है। उन्होने अपने संघर्षमय जीवन को हृदय में सँजोया और उसकी अभिव्यक्ति साहित्य के माध्यम से की इसीलिए उनका साहित्य बेहद संवेदनशील और मार्मिक बन पड़ा है। प्रेमचंद के पात्रों में संघर्षशील व्यक्तित्व दिखाई देता है। परिस्थिति का डटकर मुक़ाबला करना उन्हें आता है। किसी भी पात्र ने परिस्थिति के सामने घुटने नहीं टेके और न ही आत्महत्या की। जीवनसंघर्ष का मूलमंत्र प्रेमचंद साहित्य में मिलता है। ऐसा डॉ. मिर्ज़ा हाशम बेग, नलदुर्ग ने राष्ट्रीय वेबिनार के बीजभाषण में कहा.

       पूना कॉलेज में हिंदी विभाग एवं उर्दू, अरेबिक, पर्शियन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मुंशी प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में वेबिनार सम्पन्न हुआ। वेबिनार की प्रस्तावना सब लेफ्टिनेंट डॉ. मो. शाकिर शेख ने की। उपप्राचार्य प्रा. इम्तियाज़ आग़ा ने सभी उपस्थित मान्यवरों का स्वागत किया।  उपप्राचार्य प्रा. मोइनूद्दीन खान ने वेबिनार का उदघाटन करते हुए उनके जीवन संघर्षों से परिचित करवाया। उन्होने कहा कि प्रेमचंद नाम का संदेश ही है – प्रेम, प्रयास और परिश्रम। प्रेमचंद के विचारों को पढ़ने, अपनाने और उन पर अमल करने की आज ज़रूरत है।

              डॉ. सुनीता यदुवंशी, कानपुर ने प्रेमचंद के उपन्यास साहित्य पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य प्रगतिवाद, मार्क्सवाद और गांधीवादी भावनाओं से ओतप्रोत है। प्रेमचंद ने यथार्थ का चित्रण किया। अपने जीवन में सच्चाई को बखूबी निभाया, जिया और साहित्य में उतारा।

       डॉ. सुरेखा मंत्री, यवतमाल ने प्रेमचंद के कहानी साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद से पूर्व साहित्य में मनोरंजन के तत्व हुआ करते थे, प्रेमचंद ने तत्कालीन सामाजिक सरोकारों से अवगत करवाया। उनके साहित्य का उद्देश्य मानवतावादी दृष्टि का विकास, समाज के सभी वर्ग का चित्रण करना है। डॉ. अब्दुल बारी, पुणे ने उर्दू साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को लेकर बात कही।

       प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है, उनके साहित्य को हम आज भी नहीं भूल पाये। प्रेमचंद सच्चे अध्यापक, पत्रकार और साहित्यकार है। उनके विचारों को पढ़कर उन्हे अपना चाहिए।

डॉ. बाबा शेख ने वेबिनार का सूत्र संचालन तथा डॉ. मो. सलिम मनियार में ऋण निर्देश व्यक्त किया। डॉ. इमरान बेग मिर्ज़ा और प्रा. फ़ारुख शेख ने तकनीकी सहकार्य किया।

       इस अवसर पर डॉ. मीता सोलंकी, डॉ. शहाबुद्दीन शेख, डॉ. माधुरी नगरकर, प्रा. लता चंद्रा, डॉ. मंगला कठारे, डॉ. सादिका नवाब सहर, डॉ. हसन खान कुलकर्णी, डॉ. मनीषा ठक्कर, डॉ. मधु वर्मा, डॉ. छाया पाटिल, डॉ. ऐनूर इनामदार, डॉ. अब्दुल अलिम, डॉ. नूरजहान रहमतुल्लाह, डॉ. पुष्पा पुष्पध, डॉ. प्रमोद पडवल, डॉ. ज्योति मूंगल, डॉ. वैशाली झगड़े, डॉ. साधना भंडारी डॉ. मनोहर जमदाले, प्रा. रुकसाना शेख आदि ऑनलाइन उपस्थित थे।  

डॉ. आफताब अनवर शेख

प्राचार्य  



 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

25 मार्च 2023 - इंद्रधनुष कवि सम्मेलन

पूना कॉलेज हिंदी विभाग , आय क्यू ए सी तथा प्रतिभा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में कवि सम्मेलन इंद्रधनुष्य दि. 25   मार्च 2023   शाम...