‘राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 2020 : हिंदी की भूमिका’ विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी, पुस्तक
विमोचन एवं सम्मान समारोह
14 सितंबर 2022
नेहरू युवा केंद्र पुणे,
युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार,
पूना कॉलेज आय क्यू ए सी, हिंदी विभाग,
पृथा फ़ाउंडेशन, एड्यूथान संस्था के संयुक्त
तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी , पुस्तक विमोचन एवं सम्मान समारोह
सम्पन्न हुआ। नेहरू युवा केंद्र महाराष्ट्र के सह संचालक श्री यशवंत मानखेडकर तथा
पूना कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आफताब अनवर शेख के मार्गदर्शन में आयोजित इस
कार्यक्रम में उपप्राचार्य मोइनूद्दीन खान ने सभी उपस्थितों का स्वागत किया। उपप्राचार्य
प्रा. इम्तियाज़ आगा ने प्रास्ताविक प्रस्तुत किया। बालभारती पुणे की समन्वयक डॉ.
अलका पोतदार ने बीजभाषण में नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. रत्ना
चौधरी, वर्धा द्वारा लिखित हिंदी उपन्यासों में समाज
जीवन इस पुस्तक का विमोचन सभी मान्यवरों के करकमलों द्वारा हुआ। डॉ. रत्ना चौधरी
ने अपनी पुस्तक का परिचय करवाते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।
हिंदी सलाहकार समिति,
भारत सरकार के सदस्य श्री वीरेंद्र कुमार यादव, पटना ने उदघाटन के अवसर पर कहा कि बहुभाषी
भारत देश में संपर्क व सशक्त भाषा के रूप में उसके सार्वदेशिक विकास के लिए
राष्ट्रीय सोच बनाने की आज नितांत आवश्यकता है। श्री यादव ने आगे कहा कि वर्तमान
में हिंदी को साहित्य से भी आगे जाकर इसे ज्ञान विज्ञान की ही नहीं,
बल्कि शासन, प्रशासन व न्याय की भाषा बनाने की
आवश्यकता है। हमें अपनी मानसिकता बदलकर हिंदी साहित्य भारतीय भाषाओं की समृद्धि
में सक्रिय योगदान करना होगा।
विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्था,
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. शहाबुद्दीन
शेख, पुणे ने समारोह की अध्यक्षता की। श्री यादव ने
आगे कहा कि वर्तमान में हिंदी को साहित्य से भी आगे जाकर इसे मान ज्ञान की ही नहीं,
बल्कि शासन, प्रशासन व न्याय की भाषा बनाने की
आवश्यकता है। हमें अपनी मानसिकता बदलकर हिंदी साहित्य भारतीय भाषाओं की समृद्धि
में सक्रिय योगदान करना होगा। अध्यक्षीय समापन करते हुए डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने कहा
कि हिंदी ने भारत व भारत के बाहर विश्व मंच पर भरपूर प्रगति साधी है। फिर भी
भारतीय संस्कृति को अबाधित रखने के लिए हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं को विकसित
करना होगा। हिंदी के लिए रोमन लिपि का प्रयोग बहुत बड़ा संकट है। हिंदी के अस्तित्व
के लिए सभी क्षेत्रों में देवनागरी लिपि का ही प्रयोग बहुत ज़रूरी है। राष्ट्रीय
शिक्षा नीति का क्रियान्वयन आरंभ हुआ है, जो भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देगी।
क्षेत्रीय तथा मातृभाषा के माध्यम दी जानेवाली शिक्षा निःसन्देह परिणामकारक सिद्ध
होगी। ज्ञान व कौशल के साथ ये शिक्षा नीति देश के युवा वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने
में सहायक सिद्ध होगी।
तकनीकी सत्र की अध्यक्षता लखनऊ से पधारी
डॉ. रेणु सिंह ने की। इस सत्र में डॉ. प्रेरणा उबाले,
डॉ. निर्मला राजपूत, श्रीमती मीनाक्षी भालेराव,
भावना गुप्ता ने नई शिक्षा नीति और हिंदी के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए।
सम्मान समारोह के अंतर्गत डॉ. रीना सुरडकर,
अजंता, डॉ. रत्ना चौधरी, वर्धा,
डॉ. मिलिंद बनकर, प्रा. किरण नगरे,
डॉ. प्रेरणा उबाले, डॉ. शकीला मुल्ला,
डॉ. निर्मला राजपूत, प्रा. दीपिका कटरे,
कांचन पाडलकर, सरबजीत किराड़,
प्रचेतन पोतदार, प्रा. इम्तियाज़ आगा,
प्रा. रुकसाना शेख, डॉ. बाबा शेख, डॉ. मो. सलीम मनियार,
दयानन्द कनकदन्डे आदि को हिंदी सेवी सम्मान से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर लायन
सुभाष गोयल उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बाबा शेख तथा आभार डॉ. शाकिर शेख
ने किया।
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